मोरक्को (Morocco), जो कि उत्तरी अफ्रीका का एक प्रमुख देश है, अपने शहरों की छवि सुधारने के नाम पर एक विवादास्पद कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, देश 3 मिलियन आवारा कुत्तों को मारने की योजना बना रहा है। इस सफाई अभियान ने न केवल पशु अधिकार कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सवाल खड़े किए हैं।
फीफा विश्व कप की तैयारियों के बीच तेजी
मोरक्को 2030 फीफा विश्व कप (FIFA World CUP) के सह-मेजबान के रूप में घोषित हुआ है, जिसके बाद से स्ट्रीट डॉग्स को मारने की प्रक्रिया में और तेजी आई है। रिपोर्ट बताती हैं कि हर साल मोरक्को में करीब 3 लाख आवारा कुत्तों को मारा जाता है। विश्व कप की मेज़बानी को लेकर देश अपनी छवि को सुधारने के लिए विवादास्पद सफाई अभियानों को अपनाने पर जोर दे रहा है।
फीफा विश्व कप: खेल से अधिक एक सांस्कृतिक आयोजन
फीफा विश्व कप हर चार साल में दुनिया भर के प्रशंसकों को जोड़ने वाला एक बड़ा आयोजन है। यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है, जो विविधता का जश्न मनाता है। इस आयोजन में भाग लेने वाले देशों के लिए यह एक बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे विश्व स्तर के स्टेडियम और सुविधाएं उपलब्ध कराएं, जिससे उनके देश की सकारात्मक छवि बन सके।
शहर की छवि सुधारने के नाम पर क्रूरता
मोरक्को, अपने शहरों को विदेशी मेहमानों और दर्शकों के लिए आकर्षक बनाने के प्रयास में, आवारा कुत्तों को मारने जैसा कदम उठा रहा है। हालांकि, इस क्रूर सफाई अभियान को लेकर पशु अधिकार संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह स्थायी समाधान भी नहीं है।
छवि सुधारने की जिम्मेदारी, लेकिन किस कीमत पर?
आयोजन के दौरान मेजबान देश अपनी तैयारियों में किसी भी तरह की कमी नहीं रखना चाहते। वे आगंतुकों को अविस्मरणीय अनुभव देने और अपने देश की बेहतरीन छवि पेश करने के लिए कड़े कदम उठाते हैं। लेकिन, मोरक्को जैसे देशों का यह कदम सवाल खड़े करता है कि क्या यह छवि सुधारने का सही तरीका है?
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की नाराजगी
इस सफाई अभियान के खिलाफ पशु अधिकार संगठनों का कहना है कि ऐसे कदम उठाने के बजाय सरकार को आवारा पशुओं के लिए मानवीय और स्थायी समाधान अपनाने चाहिए। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोरक्को की मेज़बानी को लेकर आलोचना का कारण बन सकती है।
मोरक्को के इस कदम ने शहरों को सुंदर बनाने की आड़ में क्रूरता और नैतिकता के बीच एक गंभीर बहस को जन्म दिया है।